आज का कलयुगी गुरुकुल
नुकर पर एक धोती वाले ओल्ड मैन और एक न्यू फैशन में फटे जींस और खड़े बाल वाले बच्चे sorry dude से संवाद की कुछ झलकिया
दादा - जनता है बेटा हमारे गुरु जी ने हमें जीवन जीना सिखाया . तभी तो हर सुबह मैं सूर्य प्रणाम के बाद यही प्रार्थना करता हु
गुरु ब्रम्हा गुरु विष्णु गुरु देवा महेश्वर
गुरु साछात्र परम ब्रम्हा तस मै श्री गुरुए नमः
पर तू तो रोज़ गुरु जी की बुराई करता है .. न जाने छात्र है आज के कैसे
बेटा-क्या दादा जब आप ओल्ड फैसन एकलव्य टाइप की बाते करते हो,
आज गुरु की तो हम वाट लगेने के मौके खोजते है कभी ,पेपर वेपर में छपता भी तो है ही
सच ही है
छात्र ही हो सुभान अल्लाह तो गुरु क्यों न हो ऐसे वैसे
1 टिप्पणियाँ:
आप हिंदी में लिखते हैं। अच्छा लगता है। मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं..........हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत हैं.....बधाई स्वीकार करें.....हमारे ब्लॉग पर आकर अपने विचार प्रस्तुत करें.....|
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