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आज का कलयुगी गुरुकुल




आज का कलयुगी गुरुकुल  

नुकर पर एक धोती वाले ओल्ड मैन और एक न्यू फैशन में फटे जींस और खड़े बाल वाले बच्चे sorry  dude से संवाद की कुछ झलकिया

दादा - जनता है बेटा हमारे गुरु जी ने हमें जीवन जीना सिखाया . तभी तो हर सुबह  मैं सूर्य प्रणाम के बाद यही प्रार्थना करता हु

गुरु ब्रम्हा गुरु विष्णु गुरु देवा महेश्वर
गुरु साछात्र  परम ब्रम्हा तस मै श्री गुरुए नमः

पर तू तो रोज़ गुरु जी की बुराई करता है .. न  जाने  छात्र  है आज के कैसे

बेटा-क्या दादा जब आप  ओल्ड फैसन एकलव्य  टाइप  की बाते करते हो,
आज गुरु की तो हम वाट लगेने के मौके खोजते है कभी ,पेपर वेपर में छपता भी तो है ही

सच ही है 
 गुरु ऐसे गुरु वैसे गुरु न जाने कैसे कैसे.
 छात्र ही हो सुभान अल्लाह तो गुरु क्यों न हो ऐसे वैसे

1 टिप्पणियाँ:

Dimple Maheshwari 27 अप्रैल 2010 को 1:11 pm बजे  

आप हिंदी में लिखते हैं। अच्छा लगता है। मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं..........हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत हैं.....बधाई स्वीकार करें.....हमारे ब्लॉग पर आकर अपने विचार प्रस्तुत करें.....|

अक्षर आपकी मर्ज़ी के

इस भीड़ में मेरा भी एक पता है

मेरी फ़ोटो
पूर्वान्चल : मऊ, उत्तर प्रदेश, India
कभी एक ख्वाब देखा था हम एक बने ,खुद को जाने पहचाने ,सुख दुःख में भागीदार बने|सब को साथ रखने का कुछ प्रयास किया जो असफल रहा कुछ प्रयास और करूगा। मीडिया अध्ययन से प्राथमिक शिक्षा के उत्थान के प्रयास का सफर। विश्वास है कि :खुद मे ही खुदा है

HOLI..........

एक बार देखो....बार बार देखो


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