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क्या है तू मेरे मन


 क्या  है तू मेरे मन
 मीठा सा  बहकावा
या  दुःखों  भरा  छलवा

जहां हार भी तेरा
जीत भी तेरी
ऐसी  क्यों है तेरी माया

जितना जानता हुँ तुझे
तू फिर भी अनजान क्यों है

हर शख्स़ मुझा सा
तुझसे ही परेशान  क्यों है?

पुनीत  कुमार  राय

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अक्षर आपकी मर्ज़ी के

इस भीड़ में मेरा भी एक पता है

मेरी फ़ोटो
पूर्वान्चल : मऊ, उत्तर प्रदेश, India
कभी एक ख्वाब देखा था हम एक बने ,खुद को जाने पहचाने ,सुख दुःख में भागीदार बने|सब को साथ रखने का कुछ प्रयास किया जो असफल रहा कुछ प्रयास और करूगा। मीडिया अध्ययन से प्राथमिक शिक्षा के उत्थान के प्रयास का सफर। विश्वास है कि :खुद मे ही खुदा है

HOLI..........

एक बार देखो....बार बार देखो


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