क्या है तू मेरे मन
मीठा सा बहकावा
या दुःखों भरा छलवा
जहां हार भी तेरा
जीत भी तेरी
ऐसी क्यों है तेरी माया
जितना जानता हुँ तुझे
तू फिर भी अनजान क्यों है
हर शख्स़ मुझा सा
तुझसे ही परेशान क्यों है?
पुनीत कुमार राय
Copyright 2009 - एहसास.........अभी जिन्दा है.
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