पुनीत कुमार राय "एह्सास अभी जिंदा है "
अब भी बोलो क्या बोलोगे मेरा देश महान है
नौकरशाही के दीमक से घुन गया संविधान है
अब भी बोलो क्या बोलोगे मेरा देश महान है
चमचम दिल्ली उचे होटल क्या नहीं है एक छलावा
यहाँ दो जून की रोटी को मोहताज़ किसान है
हरे खेत भरे खलियान अत्र्थासंत्री प्रधानमंत्री
फिर भी महगाई देखो चढ़ी आसमान है
अब भी बोलो क्या बोलोगे मेरा देश महान है
राजनीत की गजब कहानी जीतनी समझो उतनी अनजानी
चंद तुकडो में ही बिकता मनत्रालय और इमान है
अब भी बोलो क्या बोलोगे मेरा देश महान है
लाशो पर सेक सेक कर पकती है कुर्सी की रोटी
हिन्दू है मुस्लिम है पर नहीं एक अदद इंसान है
अब भी बोलो क्या बोलोगे मेरा देश महान है
धर्म वाद है जाति वाद है मानववाद ना कही
सेकुलर होना जहा गाली के सामान है
अब भी बोलो क्या बोलोगे मेरा देश महान है
तमगो और पैसो के खातिर मर्डर यहाँ पुलिस है करती
इन्कउन्टर के नाम पर बड़ती पुलिस की शान है
अब भी बोलो क्या बोलोगे मेरा देश महान है