एक और टुटा ख्वाब बस कसक सी रह गयी
जाते जाते उमीदे इतना मुस्करा के कह गयी
अब तो उनकी रुसवाई पे एतबार करना सिख लो
प्यार जो हुआ है अब,तो दर्द से भी प्यार करना सिख लो
पुनीत कुमार राय
एक और टुटा ख्वाब
प्रस्तुतकर्ता
पुनीत कुमार राय
14 मई 2010
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